– राष्ट्रीय भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है – महात्मा गांधी – हिंदी राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है - सुमित्रानंदन पंत – हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है – कमलापति त्रिपाठी – जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य पर गर्व नहीं है, वह देश आगे नहीं बढ़ सकता – डॉ राजेंद्र प्रसाद – हिंदी के प्रचार और विकास को कोई नहीं रोक सकता -पंडित गोविंद बल्लभ पंत