उन्होंने प्लैंक लॉ एंड द हाइपोथिसिस ऑफ लाइट क्वांटा नामक एक रिपोर्ट में अपने निष्कर्षों का दस्तावेजीकरण किया, और इसे द फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन नामक एक प्रमुख विज्ञान पत्रिका को भेजा था लेकिन उनकी रिसर्च को खारिज कर दिया गया.
इसके बाद उन्होंने 04 जून 1924 को दुनिया के मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन को अपना पेपर भेजने का फैसला किया. अल्बर्ट आइंस्टीन ने बोस की खोज को पहचाना और रिसर्च पेपर के आधार पर बड़े पैमाने पर रिसर्च की. इस तरह बोस का सैद्धांतिक पेपर क्वांटम सिद्धांत में सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों में से एक बन गया.